Sunday, 9 April 2017

राम सेतु का निर्माण का वास्तविक समय

राम राम । सीताराम । राम राम ।
श्री राम धरती पर त्रेता युग के अंत में आये थे |
वेद और शास्त्र के अनुसार हमलोग अभी कलियुग में जी रहे हैं जिसके 5018 वर्ष बीत चुके हैं। द्वापरयुग का काल 864000 वर्ष (आठ लाख चौसठ हज़ार) का हैं। अर्थात त्रेतायुग और कलियुग के बीच द्वापरयुग का 864000 वर्ष समाप्त हो चूके हैं। अगर कलियुग और द्वापर के समय को जोड़ा जाय तो 869018 तो आठ लाख उनहत्तर हज़ार अठारह बर्ष होते है | अतः राम सेतु कम से कम 9 लाख बर्ष पहले बना होगा |
आज तक और पश्चिमी मीडिया का झूठ :
आजतक न्यूज़ चैनल ने एक कार्यक्रम आरम्भ किया हैं "ईश्वर की खोज" इसमें दर्शकों के मन में बार-बार यह बिठाने का प्रयास किया जा रहा हैं कि - श्रीराम का आगमन धरती पे 7000 वर्ष पूर्व हुआ। इससे आमलोगों के दिमाग में ये बात आएगी की यदि श्रीराम 7000 वर्ष पूर्व आये तो रामसेतु भी 7000 वर्ष प्राचीन होना चाहिए। लेकिन नासा ने रामसेतु को करीब साढ़े नौ लाख वर्ष पुराना कहा।
आइए इसपे एक छोटा सा शोध हो जाएँ। श्री राम त्रेतायुग के अंत में आएं और श्रीकृष्ण द्वापरयुग के अंत में। हमलोग अभी कलियुग में जी रहे हैं जिसके 5018 वर्ष बीत चुके हैं। द्वापरयुग का काल 864000 वर्ष (आठ लाख चौसठ हज़ार) का हैं। अर्थात त्रेतायुग और कलियुग के बीच द्वापरयुग का 864000 वर्ष समाप्त हो चूके हैं। इसका मतलब श्रीराम के काल और हमारे बीच कम से कम नौ लाख वर्ष बीत चूका हैं। नासा के वैज्ञानिक भी तो यही कह रहे हैं कि रामसेतु लगभग साढ़े नौ लाख वर्ष प्राचीन हैं तो फिर आजतक न्यूज़ वाले श्रीराम का काल 7000 वर्ष पूर्व कहकर हमे क्यूं बरगला रहा हैं...?
दरअसल देश के दुश्मनों की शुरू से यही साजिश रही की भारतीयों को ये कभी पता नहीं चले की उसका धर्म लाखों-करोड़ो वर्ष प्राचीन हैं। वे भारत का इतिहास दस हज़ार वर्ष से पुराना दिखाना ही नही चाहते और वे लगातार हमारे लोककथाओं का समयकाल हरवक्त कम करके ही दिखाते हैं। हमे इस षड्यंत्र को समझना होगा तभी हम अपना सही व गौरवशाली इतिहास जान पाएंगे।
जय श्री राम
ज्ञातव्य : मुख्य लौकिक युग सत्य (उकृत), त्रेता, द्वापर और कलि नाम से चार भागों में (चतुर्धा) विभक्त है। इस युग के आधार पर ही मन्वंतर और कल्प की गणना की जाती है। इस गणना के अनुसार सत्य आदि चार युग संध्या (युगारंभ के पहले का काल) और संध्यांश (युगांत के बाद का काल) के साथ 12000 वर्ष परिमित होते हैं। चार युगों का मान 4000 + 3000 + 2000 + 1000 = 10000 वर्ष है; संध्या का 400 + 300 + 200 + 100 = 1000 वर्ष; संध्यांश का भी 1000 वर्ष है। युगों का यह परिमाण दिव्य वर्ष में है। दिव्य वर्ष = 360 मनुष्य वर्ष है; अत: 12000 x 360 = 4320000 वर्ष चतुर्युग का मानुष परिमाण हुआ। तदनुसार सत्ययुग = 1728000; त्रेता = 1296000; द्वापर = 864000; कलि = 432000 वर्ष है। ईद्दश 1000 चतुर्युग (चतुर्युग को युग भी कहा जाता है) से एक कल्प याने ब्रह्मा की आयु 100 वर्ष है। 71 दिव्ययुगों से एक मन्वंतर होता है। यह वस्तुत: महायुग है। अन्य अवांतर युग भी है।

http://www.livehindustan.com/news/article/article1-story-201935.html

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