राजनीती और किसान आत्महत्या

सब्ज़ी, दाल की कीमत की राजनीती और किसान आत्महत्या

किसान की सबसे बड़ी पूंजी होती है फसल । जब खेत में फसल अच्छी हो तो किसान और देश खुशहाल होता है । किसान को सब्ज़ी, दाल , गेंहू , धान और तिलहन की खेती प्रमुख रूप से करते है । अब मई सबसे पहले गेंहू की बात करे ।  गेहूँ मुख्यत: विश्व के दो मौसमों, यानी शीत एवं वसंत ऋतुओं में उगाया जाता है। शीतकालीन गेहूँ ठंडे देशों, जैसे यूरोप, सं॰ रा॰ अमेरिका, आस्ट्रेलिया, रूस राज्य संघ आदि में उगाया जाता है जबकि वसंतकालीन गेहूँ एशिया एवं संयुक्त राज्य अमेरिका के एक हिस्से में उगाया जाता है। वसंतकालीन गेहूँ १२०-१३० दिनों में परिपक्व हो जाता है जबकि शीतकालीन गेहूँ पकने के लिए २४०-३०० दिन लेता है। इस कारण शीतकालीन गेहूँ की उत्पादकता वंसतकालीन गेहूँ की तुलना में अधिक हाती है।
भारत में लगभग ६ महीने में गेंहू का फसल लगता है । खेत तयारी से लेकर फसल तयारी तक । औसतन  १८ -24 (२०) क्विंटल प्रति हैक्टर उपज होती है । २५  हजार से ३० हजार रुपये प्रति हैक्टर खर्च होते है । एक छोटा  किसान  ३ से ५  हैक्टर की खेती करता है । गेंहू किसान दलालो को १६ हजार से २० हजार  प्रति क्विंटल बेचता है । अगर हम १८ हजार औसत जोड़े । लगभग ३६ हजार रूपये का फसल प्रत्येक  हैक्टर बिकता है । अगर बचत देखे प्रति हैक्टर १० हजार से १२  हजार प्रत्येक हैक्टर । मतलब ६ महीने में उसने अगर ५ हैक्टर की खेती की हो तो । ६ महीने में  ४० से ५० हजार या  ६ या ७ हजार महीने  एक किसान के परिवार ने  कमाए ।
ये लगभग हर फसल के साथ ऐसा ही कुछ हिसाब है । कुछ में मुनाफा थोड़ा अधिक तो किसी में कम । अरहड़ फसल सबसे अधिक साल भर खेत में रहती है । अतः अगर फसल ख़राब हुई तो किसान की साल भर की मेहनत और पूंजी दोनों का नुक्सान होता है । इसलिए अरहड़ किसान कम लगाते है ।
अब आप ही बताये ६ - ७ हजार रूपये महीने में एक किसान परिवार कैसे गुजर करे । एक परिवार में कम से कम ४ - ५  सदस्य रहते है । 
अगर फसल की कीमत कम रहती है । तो किसान के पास खेती में लगे पैसे भी नही निकलते है । अगर फसल ख़राब हो गया तो इनकी साडी पूंजी बेकार हो जाती है ।  इस हालात में किसान के पास आत्म हत्या करने पर मजबूर होना पड़ता है ।

कांग्रेस ने सबसे ज्यादा किसान की फसल को हमेसा कम कीमत दिया जिससे देश का किसान गरीब या आत्म हत्या  के लिए मजबूर होना पड़ा । वही दलालो को अधिक फायदा होता था । अगर गेंहू की  कीमत १ रुपया अधिक हो जाय तो सारा आसमान सर पे अगर किसान मर रहा है तो कोई बात नही । किसान को फसल की कम कीमत देकर वाहवाही लुटता रहा की देखो हमने कम कीमत दिया । क्या ये ख़ुशी की आवाज या दुःख की आवाज होनी चाहिए थी ।

अब आपको बताने की जरूरत नही है की किसान आत्म हत्या क्यों कर रहा है । सबका पेट भरने वाला किसान भूखे पेट क्यों सोता है । क्योंकि सबको किसान का खून ही पीना है । ये आदत सदियों से है । किसान का खून पीना हमलोगों का जन्म सिद्ध अधिकार है । ये कांग्रेस ने विरासत में दिया है ।

अतः जागरूक बने । सत्य देखे । दया का भाव लाये । जब किसान मजबूत होगा ।  देश मजबूत होगा । देश का जवान और विज्ञानं सब मजबूत होगा । किसानों को बचाये । किसान की सेवा देश की सेवा । 

No comments:

Post a Comment