Sunday, 2 July 2017

हिन्दुस्थान

'हिमालयात् समारभ्य यावत् इन्दु सरोवरम्। तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थान प्रचक्षते॥- (बृहस्पति आगम)
अर्थात : हिमालय से प्रारंभ होकर इन्दु सरोवर (हिन्द महासागर) तक यह देव निर्मित देश हिन्दुस्थान कहलाता है।   इसका मतलब हिन्दुस्थान चंद्रगुप्त मौर्य के काल में था लेकिन आज जिसे हिन्दुस्थान कहते हैं वह क्या है?
राजा प्रियव्रत ने अपनी पुत्री के 10 पुत्रों में से 7 को संपूर्ण धरती के 7 महाद्वीपों का राजा बनाया दिया था और अग्नीन्ध्र को जम्बू द्वीप का राजा बना दिया था।
 इस प्रकार राजा भरत ने जो क्षेत्र अपने पुत्र सुमति को दिया वह भारतवर्ष कहलाया। भारतवर्ष अर्थात भरत राजा का क्षे‍त्र।
 सप्तद्वीपपरिक्रान्तं जम्बूदीपं निबोधत।
अग्नीध्रं ज्येष्ठदायादं कन्यापुत्रं महाबलम।।
प्रियव्रतोअभ्यषिञ्चतं जम्बूद्वीपेश्वरं नृपम्।।  
तस्य पुत्रा बभूवुर्हि प्रजापतिसमौजस:।
ज्येष्ठो नाभिरिति ख्यातस्तस्य किम्पुरूषोअनुज:।।
नाभेर्हि सर्गं वक्ष्यामि हिमाह्व तन्निबोधत। (वायु 31-37, 38)  
इनमें जम्बू द्वीप आज के यूरेशिया के लिए प्रयुक्त किया गया है। इस जम्बू द्वीप में भारत खण्ड अर्थात भरत का क्षेत्र अर्थात ‘भारतवर्ष’ स्थित है, जो कि आर्यावर्त कहलाता है।
जम्बू द्वीप का विस्तार
* जम्बू दीप : सम्पूर्ण एशिया  
जब भी मुंडन, विवाह आदि मंगल कार्यों में मंत्र पड़े जाते हैं, तो उसमें संकल्प की शुरुआत में इसका जिक्र आता है:  
।।जम्बू द्वीपे भारतखंडे आर्याव्रत देशांतर्गते….अमुक...।
* इनमें जम्बू द्वीप आज के यूरेशिया के लिए प्रयुक्त किया गया है। इस जम्बू द्वीप में भारत खण्ड अर्थात भरत का क्षेत्र अर्थात ‘भारतवर्ष’ स्थित है, जो कि आर्यावर्त कहलाता है।    
।।हिमालयं दक्षिणं वर्षं भरताय न्यवेदयत्। तस्मात्तद्भारतं वर्ष तस्य नाम्ना बिदुर्बुधा:.....।।  
* हिमालय पर्वत से दक्षिण का वर्ष अर्थात क्षेत्र भारतवर्ष है।  
* भारतवर्ष : पारस (ईरान), अफगानिस्तान, पाकिस्तान, हिन्दुस्थान, नेपाल, तिब्बत, भूटान, म्यांमार, श्रीलंका, मालद्वीप, थाईलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया, कम्बोडिया, वियतनाम, लाओस तक भारतवर्ष।
आर्यावर्त : बहुत से लोग भारतवर्ष को ही आर्यावर्त मानते हैं जबकि यह भारत का एक हिस्सा मात्र था। वेदों में उत्तरी भारत को आर्यावर्त कहा गया है।  आर्यावर्त का अर्थ आर्यों का निवास स्थान। आर्यभूमि का विस्तार काबुल की कुंभा नदी से भारत की गंगा नदी तक था।
  ऋग्वेद में आर्यों के निवास स्थान को 'सप्तसिंधु' प्रदेश कहा गया है।  ऋग्वेद के नदीसूक्त (10/75) में आर्यनिवास में प्रवाहित होने वाली नदियों का वर्णन मिलता है, जो मुख्‍य हैं:-   कुभा (काबुल नदी), क्रुगु (कुर्रम), गोमती (गोमल), सिंधु, परुष्णी (रावी), शुतुद्री (सतलज), वितस्ता (झेलम), सरस्वती, यमुना तथा गंगा। उक्त संपूर्ण नदियों के आसपास और इसके विस्तार क्षेत्र तक आर्य रहते थे।
जम्बू द्वीप से छोटा है भारतवर्ष। भारतवर्ष में ही आर्यावर्त स्थित था। आज न जम्बू द्वीप है न भारतवर्ष और न आर्यावर्त। आज सिर्फ हिन्दुस्थान है और सच कहें तो यह भी नहीं। क्या कारण हैं कि वेदों को मानने
भारतवर्ष में ही आर्यावर्त स्थित था। आज न जम्बू द्वीप है न भारतवर्ष और न आर्यावर्त। आज सिर्फ हिन्दुस्थान है और सच कहें तो यह भी नहीं। क्या कारण कि वेदों को मानने वाले लोग अब अपनेही देश मेंदर-बदर हैं? वह लोग जिनके कारण ही दुनियाभर के धर्मों और संस्कृतियों की उत्पत्ति हुई, वह लोग जिनके कारण दुनिया को ज्ञान, विज्ञान, योग, ध्यान और तत्व ज्ञान मिला।
''सुदर्शनं प्रवक्ष्यामि द्वीपं तु कुरुनन्दन। परिमण्डलो महाराज द्वीपोऽसौ चक्रसंस्थितः॥
यथा हि पुरुषः पश्येदादर्शे मुखमात्मनः। एवं सुदर्शनद्वीपो दृश्यते चन्द्रमण्डले॥ 

द्विरंशे पिप्पलस्तत्र द्विरंशे च शशो महान्।। -वेदव्यास, भीष्म पर्व, महाभारत
हिन्दी अर्थ : हे कुरुनन्दन! सुदर्शन नामक यह द्वीप चक्र की भांति गोलाकार स्थित है, जैसे पुरुष दर्पण में अपना मुख देखता है, उसी प्रकार यह द्वीप चन्द्रमण्डल में दिखाई देता है। इसके दो अंशों में पिप्पल और दो अंशों में महान शश (खरगोश) दिखाई देता है।
अर्थात : दो अंशों में पिप्पल का अर्थ पीपल के दो पत्तों और दो अंशों में शश अर्थात खरगोश की आकृति के समान दिखाई देता है। आप कागज पर पीपल के दो पत्तों और दो खरगोश की आकृति बनाइए और फिर उसे उल्टा करके देखिए, आपको धरती का मानचित्र दिखाई देखा। यह श्लोक 5 हजार वर्ष पूर्व लिखा गया था। इसका मतलब लोगों ने चंद्रमा पर जाकर इस धरती को देखा होगा तभी वह बताने में सक्षम हुआ होगा कि ऊपर से समुद्र को छोड़कर धरती कहां-कहां नजर आती है और किस तरह की।पहले संपूर्ण हिन्दू जाति जम्बू द्वीप पर शासन करती थी। फिर उसका शासन घटकर भारतवर्ष तक सीमित हो गया। फिर कुरुओं और पुरुओं की लड़ाई के बाद आर्यावर्त नामक एक नए क्षेत्र का जन्म हुआ जिसमें आज के हिन्दुस्थान के कुछ हिस्से, संपूर्ण पाकिस्तान और संपूर्ण अफगानिस्तान का क्षेत्र था। लेकिन लगातार आक्रमण, धर्मांतरण और युद्ध के चलते अब घटते-घटते सिर्फ हिन्दुस्तान बचा है।>यह कहना सही नहीं होगा कि पहले हिन्दुस्थान का नाम भारतवर्ष था और उसके भी पूर्व जम्बू द्वीप था। कहना यह चाहिए कि आज जिसका नाम हिन्दुस्तान है वह भारतवर्ष का एक टुकड़ा मात्र है। जिसे आर्यावर्त कहते हैं वह भी भारतवर्ष का एक हिस्साभर है और जिसे भारतवर्ष कहते हैं वह तो जम्बू द्वीप का एक हिस्सा है मात्र है। जम्बू द्वीप में पहले देव-असुर और फिर बहुत बाद में कुरुवंश और पुरुवंश की लड़ाई और विचारधाराओं के टकराव के चलते यह जम्बू द्वीप कई भागों में बंटता चला गया।

धरती के सात द्वीप : पुराणों और वेदों के अनुसार धरती के सात द्वीप थे- जम्बू, प्लक्ष, शाल्मली, कुश, क्रौंच, शाक एवं पुष्कर। इसमें से जम्बू द्वीप सभी के बीचोबीच स्थित है।
'जम्बूद्वीप: समस्तानामेतेषां मध्य संस्थित:,
भारतं प्रथमं वर्षं तत: किंपुरुषं स्मृतम्‌,
हरिवर्षं तथैवान्यन्‌मेरोर्दक्षिणतो द्विज।
रम्यकं चोत्तरं वर्षं तस्यैवानुहिरण्यम्‌,
उत्तरा: कुरवश्चैव यथा वै भारतं तथा।
नव साहस्त्रमेकैकमेतेषां द्विजसत्तम्‌,
इलावृतं च तन्मध्ये सौवर्णो मेरुरुच्छित:।
भद्राश्चं पूर्वतो मेरो: केतुमालं च पश्चिमे।
एकादश शतायामा: पादपागिरिकेतव: जंबूद्वीपस्य सांजबूर्नाम हेतुर्महामुने।- (विष्णु पुराण)

जम्बू द्वीप का वर्णन : जम्बू द्वीप को बाहर से लाख योजन वाले खारे पानी के वलयाकार समुद्र ने चारों ओर से घेरा हुआ है। जम्बू द्वीप का विस्तार एक लाख योजन है। इस द्वीप परजम्बू (जामुन) नामक वृक्ष की इस द्वीप पर अधिकता के कारण इस द्वीप का नाम जम्बू द्वीप रखा गया था।
जम्बू द्वीप के 9 खंड थे : इलावृत, भद्राश्व, किंपुरुष, भारत, हरि, केतुमाल, रम्यक, कुरु और हिरण्यमय। इनमें भारतवर्ष ही मृत्युलोक है, शेष देवलोक हैं। इसके चतुर्दिक लवण सागर है। इस संपूर्ण नौ खंड में इसराइल से चीन और रूस से भारतवर्ष का क्षेत्र आता है। जम्बू द्वीप में प्रमुख रूप से 6 पर्वत थे : हिमवान, हेमकूट, निषध, नील, श्वेत और श्रृंगवान।
भारतवर्ष का वर्णन : समुद्र के उत्तर तथा हिमालय के दक्षिण में भारतवर्ष स्थित है। इसका विस्तार 9 हजार योजन है। यह स्वर्ग अपवर्ग प्राप्त कराने वाली कर्मभूमि है।
इसमें 7 कुल पर्वत हैं : महेन्द्र, मलय, सह्य, शुक्तिमान, ऋक्ष, विंध्य और पारियात्र।
भारतवर्ष के 9 खंड : इन्द्रद्वीप, कसेरु, ताम्रपर्ण, गभस्तिमान, नागद्वीप, सौम्य, गन्धर्व और वारुण तथा यह समुद्र से घिरा हुआ द्वीप उनमें नौवां है।
मुख्य नदियां : शतद्रू, चंद्रभागा, वेद, स्मृति, नर्मदा, सुरसा, तापी, पयोष्णी, निर्विन्ध्या, गोदावरी, भीमरथी, कृष्णवेणी, कृतमाला, ताम्रपर्णी, त्रिसामा, आर्यकुल्या, ऋषिकुल्या, कुमारी आदि नदियां जिनकी सहस्रों शाखाएं और उपनदियां हैं। तट के निवासी : इन नदियों के तटों पर कुरु, पांचाल, पुण्ड्र, कलिंग, मगध, दक्षिणात्य, अपरान्तदेशवासी, सौराष्ट्रगण, तहा शूर, आभीर एवं अर्बुदगण, कारूष, मालव, पारियात्र, सौवीर, सन्धव, हूण, शाल्व, कोशल, मद्र, आराम, अम्बष्ठ और पारसी गण रहते हैं। इसके पूर्वी भाग में किरात और पश्चिमी भाग में यवन बसे हुए हैं।
किसने बसाया भारतवर्ष : त्रेतायुग में अर्थात भगवान राम के काल के हजारों वर्ष पूर्व प्रथम मनु स्वायंभुव मनु के पौत्र और प्रियव्रत के पुत्र ने इस भारतवर्ष को बसाया था, तब इसका नाम कुछ और था।  

 

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