वेद और पुराण का सार

श्री गणेशाय नमः
नया सवेरा । आपके सामने वेद और पुराण का सार रख रहा है ।


हमने जो अध्ययन किया हमें सारे ग्रन्थ सत्य और अच्छे लगे लेकिन धर्म ग्रन्थ में जो मिलावट कर समाज के एक वर्ग ने अपने को श्रेष्ठ और दूसरे को नीच कहा है । वो झूठ और मक्कारी लगी । जिसे मैं शब्द में बयान नही कर सकता । मनु , वाल्मीकि ,वेद व्यास ,तुलसीदास जैसे संत महात्मा को जो बदनाम और कलंक लगाया । हिन्दू धर्म को बदनाम किया । वेद की मर्यादा को नष्ट किया । धर्म ग्रन्थ में मिलावट करने वाला निंदनीय है ।


मैं सारे महर्षि और संतो को कोटि कोटि नमन करता हूँ ।मैं संतो से माफ़ी भी मांगता हूँ । जिनके बारे में ग़लतफ़हमी फैलाया गया और कलंक लगया गया । आप लोगो का चारित्र ही समाज का उद्धार और सत्य मार्ग पर मानवता को ला सकता है ।


वेद में एक ही बात लिखी है । जड़ - चेतन सभी परमात्मा के अंस है । सम्पूर्ण वेद का सार " हरि ॐ तत्सत " है ।


हमारे भगवान् संत रविदास ने इस प्रकार कहा है :


SANT RAVIDAS : Hari in everything, everything in Hari
For him who knows Hari and the sense of self, no other testimony is needed: the knower is absorbed.


हरि सब में व्याप्त है, सब हरि में व्याप्त है । जिसने हरि को जान लिया और आत्मज्ञान हो गया और कुछ जानने की जरूरत नही है वो हरि में व्याप्त या विलीन हो जाता है ।

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