Thursday, 18 August 2016

ढोल गवाँर शूद्र पसु नारी। सकल ताड़ना के अधिकारी

नया सवेरा : श्री राम भक्त तुलसीदास की दोहा को गलत अर्थ बताने वाले को आयाना दिखाना चाहता है ।

सत्य : ताड़ना एक (अवधी - संस्कृत) शब्द है । जिसका हिंदी में अर्थ होता है । अनुशासन, शिष्टाचार, मर्यादा  (Discipline) या शिक्षा 

संस्कृत का एक श्लोक पढ़े :
लालयेत् पंच वर्षाणि दश वर्षाणि ताडयेत्
प्राप्ते षोडशे वर्षे पुत्रे मित्रवदाचरेत्॥

अर्थ- पाँच वर्ष की अवस्था तक पुत्र को लाड़ करना चाहिए, दस वर्ष की अवस्था तक (उसी की भलाई के लिए) उसे ताड़ना (अनुशासन , Discipline ,  मर्यादा , शिक्षा ) देना चाहिए और उसके सोलह वर्ष की अवस्था प्राप्त कर लेने पर उससे मित्रवत व्यहार करना चाहिए.

Till the son is five years old one should pamper him. When he crosses five till he becomes 10 he should be spanked. (Tadayet means to spank) in reality those are the years when one needs to discipline him. Line -2 However, when he turns 16, he should be treated like a friend. ( Means he should feel that he is grown up and his opinion matters, which can happen when he is treated like a friend.)

ताड़ना =  DISCIPLINE =  मर्यादा = अनुशासन = शिक्षा 
अब आप श्री राम चरितमानस के पूरी दोहा को पढ़े आपके सामने सत्य खुद ही समझ में आएगा । 
दोहा ।
प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं। मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं॥
ढोल गवाँर शूद्र पसु नारी। सकल ताड़ना के अधिकारी॥
अर्थ : समुद्र प्रार्थना करते है की आपने हमें शिक्षा (अनुशासन) देकर अच्छा किया । ये आपने  मर्यादा (कर्तव्य ) को फिर से स्थापित किया  है । 
ढोल गंवार शुद्र पशु और नारी सारे ताड़ना (ताडयेत् , मर्यादा, अनुशासन , Discipline,  शिक्षा  ) के अधिकारी है ।
English : 
Shree Ram you have done well to discipline me | This is guidelines which you have defined again.
A Drum, an Illiterate, Poor people (I would not interpret it as Dalit’s), Animals and Women all have the rights to be disciplined.

ज्ञातव्य : जड़ ( समुद्र और  ढोल ) और  चेतन (गंवार शुद्र पशु , नारी ) सभी को अपनी मर्यादा का पालन करना चाहिए ।  भगवान् श्री राम मर्यादा पुरषोत्तम सभी जड़ और चेतन के मालिक है  ।

मर्यादा पुरषोतम श्री राम जड़ - समुद्र और चेतन के स्वामी के बारे में श्री तुलसी दास का ये कथन उचित है ।
जब तक ढोल को सही तरीके से कसा नही जाये सुर ख़राब होता है । गंवार, शुद्र, पशु और नारी को मर्यादा अनुशासन में रहने की आवश्यकता है । समुद्र भगवान् श्री राम का दास है और उन्हें भगवान का आदेश मानने में देर नही करना चाहिए था ।

ये वही पाखंडी है जिसने तुलसीदास के श्री राम चरित्र मानस को मान्यता देने से इंकार किया था । उसके बाद ताड़ना (डिसिप्लिन मर्यादा शिष्टाचार अनुशासन ) शब्द का गलत अर्थ निकल दिया था । ऐसे शब्द का अर्थ प्रताड़ना बता दिया । पर + ताड़ना (दूसरे द्वारा अनुशासित ) दण्डित करना बता दिया था । जिससे संत  तुलसीदास को बदनाम और अपना महत्व बढ़ाया जा सके ।

एक लोकप्रिय भजन पढ़े इसमें ताड़ना का मतलब मोक्ष या उद्धार होता है ।

ताड़ा  है सारा ज़माना श्याम हम को भी ताड़ो ।
हम को भी ताड़ो श्याम हम को भी ताड़ो ॥

हम ने सुना है श्याम मीरा को ताड़ा,
वीणा का कर के बहाना, श्याम हम भी ताड़ो ।

हमने सुना है श्याम द्रोपदी को ताड़ा,
साडी का कर के बहाना, श्याम हम को भी ताड़ो ।

हमने सुना है श्याम कुब्जा को ताड़ा,
चन्दन का कर के बहाना, श्याम हम को भी ताड़ो ।

हमने सुना है श्याम गणिका को ताड़ा,
तोते का कर के बहाना, श्याम हम को भी ताड़ो ।

हमने सुना है श्याम अर्जुन को ताड़ा,
गीता का कर के बहाना, श्याम हम को भी ताड़ो ।

हमने सुना है श्याम प्रहलाद को ताड़ा,
खम्बे का कर के बहाना, श्याम हम को भी ताड़ो ।

हमने सुना है श्याम केवट को ताड़ा,
नौका का कर के बहाना, श्याम हम को भी ताड़ो ।

प्रेरणा : बिना सत्य जाने झूठ और अफवाह के आधार पर भगवान् वाल्मीकि को डाकू बोलना । द्रोणाचार्य के बारे में एकलव्य का अंगूठा काटने की कहानी जोड़ना और संत तुलसीदास को शुद्र और नारी के बारे में गलत कहना उचित नही है । संत हमेसा आदर और सम्मान के पात्र है ।

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