Saturday, 13 August 2016

वामपंथ यानि उल्टापंथ

प्रबुद्ध मित्रों, वामपंथी का सीधी जनभाषा में मतलब उल्टा पंथी होता है, सीधे देश के सीधे साधे लोगों के बीच उल्टापंथ समेत उल्टापंथी होना संज्ञेय गंभीरतम अपराध घोषित होना चाहिए,  देशद्रोह, संवैधानिक द्रोही. 

India that is भारत एक सेक्यूलर गणराज्य है - लोकतंत्र , ना कि कोई मार्क्सवादी साम्यवादी (Communist) सोयूज या वामपंथी पीपुल्स रिपब्लिक !!
साम्यवाद यानि उल्टापंथ तो सिद्धांततः व्यक्तिपूजक निरंकुशता और अराजकता का पोषक हैं जहाँ राज्य की आवश्यकता समाप्त हो जाती है,, साम्यवाद, वामपंथ यानि उल्टापंथ तो भगौडे भिखारीबाबा कार्ल मार्क्स और मानसिक रोगी फ्रेडरिक एंगेल्स द्वारा प्रतिपादित है तथा इन के उल्टापंथी घोषणापत्र में वर्णित तथाकथित उल्टापंथ कु'समाजवाद की चरम परिणति है,वास्तविकता में उल्टापंथ नामक वामपंथ तो कु'सामाजिक - कु'राजनीतिक दर्शन के अंतर्गत एक ऐसी विचारधारा के रूप में वर्णित है, जिसमें अराजकता और संगठित अपराध को क्रांति का नाम दे कर कहा जाता है कि "क्रांति बंदूक की नाल से निकलती है।" 
★★ साथ ही भारतदेश जैसे विभिन्न रिलीजन, मजहबों का उनकी आस्था, मान्यताओं और परंपराओं का पूरी तरह सम्मान उनके पर्सनल बोर्ड बना कर, लिखित भारतीय संविधान में अनुच्छेद 25, 26 तथा अनुच्छेद 28, 29 एवं 30 बना कर सिद्ध किया गया है कि हम ईश्वर - अल्लाह तेरो नाम मानते हैं, सम्मान करते हैं फिर भी सेक्यूलर हैं, जबकि "उल्टापंथ रूपी वामपंथ"  के परमपिता नामी भुखमरे और गैरजिम्मेदार भगौडे कार्लमार्क्स बाबा कह गये थे कि -
1.) Religion is the opium of the masses अर्थात धर्म लोगों का अफीम है !
2.) The first requisite for the happiness of the people is the abolition of religion अर्थात  लोगों की ख़ुशी के लिए पहली आवश्यकता धर्म का अंत है !
तथा
3.) Religion is the impotence of the human mind to deal with occurrences it cannot understand अर्थात धर्म मानव मस्तिष्क जो न समझ सके उससे निपटने की नपुंसकता है !
★★  सो भारतदेश के संविधान की मूल प्रस्तावना सहित India that is भारत की जनभावना, जनता की आस्थाओं, परंपराओं व धार्मिकता तक का क्रूर नरपिशाची अपमान करने वाली इस रक्तपिशाची विचारधारा, जिसे हम लेफ्ट, वामपंथ कहते हैं, मानते हैं को आतंकवादी, जनद्रोही, Enemy Of The Peoples  घोषित करते हुऐ व्यापक देशहित एवं विस्तृत जनहित में पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाना चाहिए , साथ ही इस दूषित कु'विचारधारा के पोषक , कु'साहित्य रचने वाले साहित्य हत्याकारों तथा प्रचारकों को जनद्रोही , राष्ट्रद्रोही आतंकवादी घोषित करते हुऐ संबंधित धाराओं में समाज के लिये गैरजरूरी घोषित किया जाना जरूरी है ताकि इस लोकतंत्र की रक्षा हो सके और समाज में शांति स्थापित हो सके इसके लिये सरकार तथा जनता के स्तर पर उल्टापंथ और उल्टापंथी निर्मूलन कठोरतम तरीकों से आवश्यक है। 
भारतीय लोकतंत्र में उल्टापंथ देशद्रोहिता एवं अक्षम्य  अपराध घोषित किया जाये जिसकी एकमात्र सजा (व्यापक, विस्तृत जनहित में) मृत्युदंड हो, वो भी समर्थकों, सहयोगियों और पोषकों समेत, यह संवैधानिक रूप से, संविधान के ही तहत भारत सरकार हेतु अनुमति प्रदत्त है अत: सरकार समेत हर आमजन का यह प्राथमिक कर्तव्य है कि वो सेक्यूलरिज्म, लोकतंत्र की रक्षा हेतु Fundamental Duties यानि मौलिक कर्तव्यों के तहत व्यापक रूप से उल्टापंथ और उल्टापंथी निर्मूलन आरंभ कर दे जिसकी शुरूआत संसद, विधानसभा, सरकारी कार्यालयों, विभागों और निर्वाचन आयोग से की जानी जरूरी है।
मानवाधिकारी लोकतंत्र जिन्दाबाद, निरंकुश रक्तपिशाच आतंकवादी "वामपंथ उर्फ उल्टापंथ" मुरदाबाद
जय हिन्द

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