Saturday, 13 August 2016

धर्म और संस्कृति बचाओ

जागो हिन्दू जागो.......*
प्रयाग में 12 वर्षों के अन्तराल में लगने वाले कुम्भ और अर्द्धकुम्भ मेले में लगभग 13 से 15 करोड़ हिन्दू श्रद्धालु पवित्र स्नान के लिए इकठ्ठे होते हैं। वे विभिन्न जाति के विभिन्न भाषा के और विभिन्न सामाजिक पृष्ठभूमि और सम्प्रदाय के होते हैं। जरा कल्पना कीजिए - क्या उन्हें कोई संगठन वहाँ बुलाता है? उनको बुलाने के लिए क्या कोई विज्ञापन निकाला जाता है? क्या वहाँ किसी से किसी का झगड़ा होता है? वहाँ शांति, सौमनस्य, सहिष्णुता और भाईचारे का सम्बन्ध सबके साथ बना रहता है। क्या यह एक हिन्दू चमत्कार नहीं है?

सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी स्वातंत्र्य वीर सावारकर की लड़की का लड़का प्रफुल माधव चिपलुणकर, एक आई.आई.टी. स्नातक जनवरी 2007 में पुणे की गलियों में भीख मांगते हुए मिला।भाजपा उसकी मदद के लिए आगे आई। सावरकर के पौत्रों और पौत्रियों की स्थिति की तुलना उनके समकालीन नेहरू-गांधी के पौत्रों-पौत्रियों से आप कर सकते हैं?
कुछ हिन्दू विरोधी नये बने भव्य मंदिरों का विरोध करते हैं और कहते हैं कि यह पैसे का अपव्यय है। परन्तु क्या वे कभी पूरे भारत भर में बने भव्य मस्जिदों और चर्चों के प्रति भी विरोध करते हैं? मस्जिदों की जगह स्कूल के साथ यदि बहु मंजिली इमारत बनती तो वहाँ बहुत से मुसलमानों को बसेरा मिलता। सब कुछ के बाद मस्जिद तो केवल पुरुषों के लिए ही है जबकि मकान-स्कूल तो पूरे मुस्लिम परिवार के स्तर को ऊचा उठाते हैं।

आप को मालूम है कि जम्मू और कश्मीर का संविधान (आप में से बहुतों को नहीं मालूम है कि जम्मू और कश्मीर के लिए एक अलग संविधान है) जम्मू-कश्मीर में ‘‘श्रीमद्भगवद ्गीता‘‘ का धर्मोपदेश देने की अनुमति नहीं देता। जम्मू-कश्मीर में गीता का पठन-पाठन असंवैधानिक है।


क्या आपको मालूम है कि पश्चिम बंगाल में लगभग 8000 गाँवों में एक भी हिन्दू नहीं बचे हैं। इसके अतिरिक्त करीब 20,000 गाँवों में हिन्दुओं की जन संख्या 30% से भी कम है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि हिन्दू जब दीपावली, होली इत्यादि त्यौहार मनाते हैं तो उन पर हमला होता है।

आज से लगभग 20 वर्ष पहले डेनमार्क में एक भी मुसलमान नहीं था। आज वहाँ मुसलमानों की आबादी लगभग दो लाख है जबकि वहाँ की पूरी आबादी 5.40 करोड है। परन्तु डेनमार्क में किसी भी मुसलमान को शव को दफनाने की अनुमति नहीं है। शव को उसके जन्म स्थान को भेज दिया जाता है। (25. 03.2008 सामना)

म्यान्मार देश में बुद्धिस्ट राजा का शासन है। इसलिए वहाँ धर्मान्तरण पर रोक है। ईसाई मिशनरियाँ वहाँ प्रजातंत्र स्थापित करने के लिए संघर्ष कर रही है जिससे वे वहाँ धर्मान्तरण का कारोबार कर सकें, जैसा नेपाल में हुआ है।

क्या आपको मालूम है कि अरुणाचल प्रदेश ने अपने यहाँ से सभी बांग्लादेशियों को निकाल दिया है। परन्तु जिन बांग्लादेशियों को अरुणाचल प्रदेश ने अपने यहाँ से निकाल दिया है उन्हें असम की कांग्रेस सरकार ने 99 वर्ष के पट्टे पर जमीन देकर असम में बसा दिया है।

लन्दन में एक महिला मुस्लिम पुलिस आॅफिसर ने अपने से वरिष्ठ पुरुष पुलिस आॅफिसरों से हाथ मिलाने से इनकार कर दिया क्योंकि ऐसा करना इस्लाम के खिलाफ है। यदि पुरुष अपराधियों को उन्हें पकड़ना हो, तो वे क्या करेगी? क्या उन्हें भाग जाने देगी?

इंग्लैंड में मुसलमान अपेक्षित ‘एन्टी-बैक्टिरियल डिस्इन्फेक्टेन्ट‘ से अपने हाथों को धोने से इन्कार कर रहे हैं। क्योंकि इसमें आलकोहल है, जो गैर इस्लामिक है। एन्टी-बैक्टिरियल डिस्इन्फेक्टेन्ट से हाथ न साफ कर मुस्लिम कर्मचारी क्या रोगियों के जीवन के लिए खतरा नहीं पहुँचा रहे हैं?

लंदन स्थित मुसलमान क्रोयडन के एक सुप्रसिद्ध सार्वजनिक तालाब में नहाने के लिए एक शर्त रखे हैं कि वही मुसलमान इस तालाब में स्नान कर सकता है जो सिर से पैर तक उनके रीति रिवाज के अनुसार कपड़े से ढंका रहे। जबकि भारत के साथ साथ दुनिया के अन्य देश राष्ट्रीय एकता की बात करते हैं, ऐसी स्थिति में मुसलमानों का अपना एक विशेष पहचान बनाये रखना और राष्ट्र की मुख्य धारा में न मिलना, क्या इस बात का द्योतक नहीं है कि पूरे विश्व में मुसलमान किसी के साथ भी घुल-मिलकर नहीं रह सकते?

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के कानपुर गांव में पिछले कई वर्षों से गाना-बजाना या टी.वी देखना मना है। वहाँ एक फतवे से गाना-बजाना या टी.वी देखना बंद है। फतवा, शादी में सार्वजनिक स्थानों पर नाचने के लिए भी इजाजत नहीं देता। आप तक और आपके गांव तक ऐसे फतवे को पहुँचने में कितनी देर लगेगी?


अहमद हुसैन, उत्तर प्रदेश के तत्कालीन परिवार नियोजन मंत्री ने जनवरी 2007 में घोषणा की थी कि मुस्लिम स्त्रियाँ जितना चाहें उतना बच्चा पैदा कर सकती हैं और राज्य सरकार प्रत्येक बच्चे की देखभाल के लिए 1,400 रु देगी। इससे ऐसा लगता है कि परिवार नियोजन केवल हिन्दुओं और ईसाइयों के लिए ही है और मुसलमानों को अधिक बच्चा पैदा करने के लिए अनुदान दिया जा रहा है, जिससे वे प्रजातांत्रिक रूप से सत्ता को प्राप्त कर लें।

पाक सरकार ने ‘‘छोटा परिवार सुखी परिवार‘‘ के नारे को स्वीकार कर लिया है। इसने 22,000 मौलवियों और 6,000 महिला विद्वानों की नियुक्ति परिवार नियोजन और नियोजित संभोग के प्रचारार्थ साहित्यों के वितरण और उससे होने वाले लाभों को समझाने के लिए किया है। परन्तु भारतीय मुसलमान क्या कह रहे हैं जरा इस पर विचार कीजिए। वे हिन्दुओं को अल्पमत में करने के लिए अपनी आबादी बढ़ाने का प्रयत्न कर रहे हैं।

रियाद के दो व्यापारी (अल दोसरी और अल काहतनी) जो आपस में एक दूसरे के सहयोगी थे 70 वर्ष के उम्र में एक दूसरे की 17-19 वर्षीय लड़कियों से व्यापार की घनिष्टता बढ़ाने के लिए शादी कर लिए। अल काहतनी की पहले से ही तीन औरते हैं। उनका कहना है कि यह एक इस्लामिक सिद्धान्त है। कोई प्रतिक्रिया?

अमेरिका के एक हिन्दू वाॅइस के ग्राहक ने हमें US$20 (बीस डाॅलर) का एक चेक भेजा है। चेक किर्टलैण्ड फेडरल क्रेडिट यूनियन बैंक का है। "के लिये”(For) के काॅलम में जिसमें लिखा जाता है कि यह पैसा किसके लिए है, उसमें ग्राहक ने हिन्दी में लिखा है ‘‘जय श्रीकृष्ण‘‘। चेक में ‘‘हिन्दुत्व सबसे अधिक वैज्ञानिक है‘‘ भी छपा है। क्या भारत का कोई बैंक ऐसा कर सकता है? क्या हमारे सेक्युलरिस्ट ऐसे बैंकों को कम्युनल बैंक नहीं कहेंगे? अमेरिका के बहुसंख्यक ईसाई यह समझ रहे हैं कि हिन्दुत्व क्या है? पर हिन्दू बहुसंख्य भारत नहीं समझ रहा है। जबकि दोनों अपने आप को सेक्युलर प्रजातांत्रिक कहते हैं।

अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम अपने अन्य सामानों के साथ श्रीमद्भगवद् गीता की एक प्रति और भगवान गणेश की एक प्रतिमा भी लेकर अन्तरिक्ष में गई। ईसाई धर्म से ओतप्रोत एक देश अमेरिका सुनीता को ऐसा करने दिया। क्या भारत जैसे हिन्दू बाहुल्य देश में कभी ऐसा होना सम्भव है?

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने प्रधानमंत्रित्व काल में कअह दिया था कि हमारे संसाधनों पर मुसलमानों का हक पहला है। संविधान बराबरी की बात कहता है। क्या वे संविधान की अवहेलना नहीं कर रहे हैं? क्या वे केवल मुसलमानों के प्रधानमंत्री थे?

पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ, एक तानाशाह ने , 9 दिसम्बर 2007 को कहा था कि पाकिस्तान में हिन्दुओं को बराबर का अधिकार प्राप्त है। परन्तु प्रजातांत्रिक रूप से निर्वाचित हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि मुसलमानों का हक संसाधनों पर पहला है। तानाशाह कौन है?

आंध्र प्रदेश की सरकार ने ईसाइयों को तीर्थयात्रा करने के लिए सब्सीडी स्वीकृत किया है। इस तरह से हिन्दू करदाताओं के पैसों से ईसाई और मुसलमान सब्सीडी प्राप्त कर अपनी धार्मिक यात्रा कर रहे हैं जबकि हिन्दू अपनी तीर्थ यात्रा के लिए अपनी सम्पत्ति बेचकर पैसा इकठ्ठा करते हैं।

ऐसा कहा जाता है कि तमिलनाडु एक ऐसा राज्य है जहाँ ई.वी. रामास्वामी नायकर का नास्तिकता का सिद्धान्त सफल है। नवम्बर 2007 में एक तिहाई पुलिस बल व्रत रखा था और सबरीमलााई गया था। उनका कहना है कि ऐसा करने से उनके मन को शांति मिली और उनके शरीर में नई शक्ति का संचार हुआ। क्या आप सोचते हैं कि तमिलनाडु में ई.वी. रामास्वामी नायकर का नास्तिक वाद सफल हो गया?


तमिलनाडु में ही डी.एम.के. सरकार ने त्रिची में सुप्रसिद्ध श्रीरंगम मंदिर के सामने नास्तिक ई.वी. रामास्वामी नायकर की प्रतिमा प्रस्तापित करने की अनुमति दे दी है। ई.वी. रामास्वामी नायकर ने कहा कि ‘‘जो ईश्वर की पूजा करते हैं वे बेवकूफ हैं‘‘। क्या आप नहीं सोचते कि ऐसा करना हिन्दू धर्म का अपमान है?

हमारी आबादी में 14% मुसलमान है, जो परिवार नियोजन की बात नहीं मानते। जबकि 2.5% ईसाई और 0.07% पारसी परिवार नियोजन का समर्थन करते हैं। क्या यही कारण नहीं है कि मुसलमान पिछड़े हुए हैं? फिर भी मुल्ला-मौलवी मुसलमानों को परिवार नियोजन की प्रेरणा देने के बजाय अधिक बच्चा पैदा करने की सलाह देते हैं। अधिक वोट मुल्ला मौलवियों को अधिक राजनीतिक शक्ति प्रदान करता है।

सन् 1947 से आज तक मुसलमानों को लगभग 10,000 करोड रु. की हज सब्सीडी दी गई। यदि इतनी रकम से मुसलमानों के लिए स्कूल या आवासीय इमारत बनवाकर उन्हें दी जाती तो उनका जीवन स्तर ऊँचा उठ सकता था। यह क्यों नहीं किया गया? मुसलमानों के पिछड़ेपन का उत्तरदायी कौन है?

कोई भी धार्मिक पुस्तक अपने अनुयायियों में आर्थिक और सामाजिक विकास की प्रेरणा देती है। परन्तु इस्लाम में ठीक इसके विपरीत होता है। मजहब मुसलमानों का जीवन स्तर ऊँचा उठाने के बजाय उन्हें सलाह देता है कि इस्लाम की रक्षा के लिए मर मिटो। सभी धर्म जीवन में विश्वास करते हैं परन्तु इस्लाम मरने में विश्वास करता है।


महिला-बाल विकास मंत्रालय कानून में संशोधन कर ऐसा प्रवधान बना रहा है कि जहाँ कहीं भी सती की घटना घटे वहाँ के लोगों को सामूहिक दण्ड दिया जाय हिन्दुस्तान टाइम्स (12.11.06)। लेकिन गृहमंत्रालय में कोई भी ऐसा नहीं सोचता कि आतंकवादियों का समर्थन और संरक्षण देने वाले लोगों के पूरे समाज को दंडित किया जाय।

महाराष्ट्र में मुसलमानों की आबादी 10.6% है। परन्तु जेलों में वे 32.4% हैं। गुजरात में उनकी आबादी 9.06% है और जेलों में वे 25% हैं। इसी तरह कर्नाटक में वे 12.23% और 17.15% हैं। जेलों में मुसलमानों की संख्या इतने बड़े पैमाने पर क्यों है?

सुप्रीम कोर्ट में दायर एक शपथ पत्र में (नवम्बर 2006) संप्रग सरकार ने औरंगजेब द्वारा लगाये गये ‘जाजिया कर‘ को यह कहते हुए बचाव किया था कि यह एक ‘विशेष कर‘ था। क्या वे यह प्रमाणित करना चाहते हैं कि औरंगजेब का कानून हिन्दुओं के हित में था?

सुप्रीम कोर्ट में दायर एक शपथ पत्र में (नवम्बर 2006) संप्रग सरकार ने शरीयत न्यायालयों का बचाव यह कहते हुए किया था कि शरीयत न्यायालयों का प्रसार देश के न्याय व्यवस्था में कोई दखल नहीं देता है। जबकि मौलवियों का कहना है कि वे सेक्युलर न्याय को नहीं पसंद करते। ऐसी स्थिति में केन्द्र सरकार ऐसा कैसे कहती है? क्या ये कांग्रेस की चाटुकारिता नहीं?

कम्युनिस्ट, जो यह सोचते हैं कि भारत स्वतंत्र राज्यों का एक समूह है, और एक देश नहीं है। अब कह रहे हैं कि ‘‘हिन्दुत्व एक उपासना पद्धति‘‘ है। ये वही कम्युनिस्ट हैं जिन्होंने मदानी आतंकवादी का समर्थन किया था और वे मोहम्मद अफजल को मुक्त कराने के लिए अग्रसर थे, आज वे कांग्रेस के साथपिछली सीट पर बैठकर सरकार चला रहे थे।

अमेरिका में अरुंधती राय ने कहा था कि भारत का प्रजातंत्र एक स्वांग है। उन्होंने यह भी कहा कि मोहम्मद अफजल का पूरा केस गलत प्रमाण पत्रों और बनावटी कहानियों से भरा हुआ है, किसी को किसी अपराध के लिए जो उसने किया ही नहीं फाँसी दे देना ठीक नहीं है। वे किसके हित में काम कर रही थी? भारत के हित में तो बिलकुल ही नहीं।

पटियाला हाउस कोर्ट के एडिशनल सेशन जज रविन्द्र कौर जिन्होंने मोहम्मद अफजल को मौत की सजा सुनाई थी, उन्होंने ऐसा कहा है कि उनकी जान को खतरा है। यदि जजों को उनकी जान का खतरा लगने लगा तो क्या वे आतंकवादियों से संबंधित मुकदमों के सम्बन्ध में भयमुक्त होकर फैसला सुना सकते हैं? अपने देश में भय के इस वातावरण के लिए कौन जिम्मेदार है?

फ्री प्रेस जर्नल 15 अक्टूर 2006 के अंक में फारूख अब्दुल्ला ने चेतावनी दी है कि मौत अफजल को फांसी की सजा सुनाने वाले जजों का पीछा करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने उसे मौत की सजा दी है फिर भी वे कहते हैं कि अफजल निर्दोष है। ऐसा कह कर क्या वे जजों को घुमा रहे हैं और कोर्ट की अवहेलना नहीं कर रहे हैं? लेकिन उन्हें दंड कौन देगा?

कुछ महिला वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की है और मांग की है कि महिलाओं को भी सबरी मलाई जाकर स्वामी अय्यप्पा की पूजा करने की छूट दी जाय। क्या वही महिला वकील मुस्लिम औरतों के लिए भी इसी तरह की मांग कर सकती हैं कि उन्हें मस्जिदों में जाकर मुस्लिमों के साथ नमाज पढ़ने की छूट दी जा रही है।

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में बहुत से स्थानों पर हिन्दू रमजान के महीने में खाना नहीं पका सकते। मुस्लिम गुण्डे आकर उनपर हमला कर सकते हैं। क्या आप ऐसा नहीं सोचते की भारत का भी तालिबानी करण हो रहा है। अन्तर्राष्ट्रीय खातमा नाबुआत आन्दोलन के बैनर तले बांग्लादेश में मुस्लिम यह मांग कर रहे हैं कि सरकार

अहमदियाज सम्प्रदाय को गैर मुस्लिम घोषित करें। वे नखलपारा में अहमदियाज मस्जिदों पर कब्जा जमा रहे हैं और सामूहिक आंदोलन कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह सम्प्रदाय नास्तिक है और इस्लाम में विश्वास नहीं करती है। क्या यही उनका भाईचारा है?

अमेरिका की सरकार ने गुजरात के प्रजातांत्रिक रूप से निवार्चित मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को विसा देने से इनकार कर दिया था।लेकिन अप्रजातांत्रिक रूप से सत्ता का अपहरण कर राष्ट्रपति बने तानाशाह मुशर्रफ के लिए अमेरिका स्वागत के लिए तैयार है। ईरान के राष्ट्रपति को भी अमेरिका विसा देने में आनाकानी करने की हिम्मत नहीं रखता। ऐसे अमेरिका के बारे में हम कहते हैं कि अमेरिका मानवाधिकार का समर्थक हैं?

मुसलमानों का कहना है कि यदि तुम्हें मुस्लिम देशों में रहना है तो हमारा (मुसलमानों का) रीति रिवाज अपनाकर रह सकते हो। परन्तु हम इस्लामिक रीति रिवाजों और परंपराओं के साथ तुम्हारे देश में रहेंगे। यदि तुम विरोध करेंगे तो तुम्हें....। पूरी दुनिया इससे त्रस्त है। जार्ज बुश,ओबामा कहते हैं कि इस्लाम शांति प्रिय मजहब है और टोनी ब्लेयर,डेविड कैमरून इसे स्वीकार भी करते हैं। क्या यह इस्लाम की जीत नहीं है?

‘हिन्दू‘, ‘संस्कृति‘, ‘संस्कार‘, ‘भारत‘, ऐसे कुछ शब्द हैं जिनसे केरल में मुस्लिमों को आपत्ति है। अनिल कुमार जो संस्कृत भारत के सक्रिय सदस्य है जिन्होंने इन शब्दों के साथ-साथ बहुत से राष्ट्रीय नारों को अपने रिक्शा पर लिखा था। मनमोहन नायर यातायात कन्ट्रोलर पुलिस आॅफिसर ने इन शब्दों और नारों को आटो रिक्शा पर से मिटवा दिया। यह उसी केरल में हो रहा है जहाँ ईसाई नारों और मुस्लिम कुरान की पक्तियाँ लिखी मिलेंगी जो धर्मान्तरण का बढ़ावा देती है

नई दिल्ली में (17 सितम्बर 2006) वंदे मातरम् शताब्दी समारोह के अवसर पर सोनिया गांधी की अनुपस्थिति से पूरे देश के कांग्रेसी हतप्रभ रह गए। कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने यह कहते हुए सोनिया का बचाव किए थे कि राष्ट्रगान किसी को भी उपस्थित होने के लिए बाध्य नहीं करता न किसी को गाने के लिए मजबूर करता है। इसलिए राष्ट्र गीत को गाने से इनकार करना उनके लिए कोई माने नहीं रखता। एक अच्छी प्रजातांत्रिक भावना है।

. इंग्लैंड में कामकाजी मुसलमानों में 31% के पास कोई योग्यता नहीं है जबकि ईसाइयों का प्रतिशत 16 और हिन्दुओं का 13 है। इस तरह से सभी जगह समान परिस्थिति है। मदरसा की शिक्षा से ही आज मुसलमान गैर रोजगारी के शिकार हैं और उपेक्षित हैं। इसलिए उनके उपेक्षितपन के लिए कौन जिम्मेदार है?

भारत में बहुत से आई.आई.टी. और आई.आई.एम शिक्षण संस्थाएँ है लेकिन किसी ने ऐसा नहीं सुना है कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी ऐसी महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थाएँ हैं। सभी जगह आपको मदरसा और मस्जिद ही मिलेंगे। अन्य इस्लामी देशों में भी इससे कोई भिन्न स्थिति नहीं है। ऐसे इस्लामिक देशों में किस प्रकार की बुद्धिमत्ता वाले लोग आप को मिलेंगे?

मुरादाबाद में (अगस्त 2006) 200 मुस्लिम दम्पतियों ने अहरौली गांव में अपनी शादी की शुद्धि की। इसका कारण यह था कि इन बरेलवी सुन्नी मुसलमानों को कब्रस्तान में ऐसे मौलवी ने नमाज पढ़ा दी थी जो उनके विरोधी देवबंद सम्प्रदाय का था। इसलिए जो लोग उस नमाज के समय उपस्थित थे वे काफिर बन गये थे। ऐसा है इस्लामिक भाईचारा?

अक्टूबर 2006 में जामा मस्जिद के शाही इमाम ने कहा, ‘‘हमने 800 वर्षों तक भारत पर शासन किया है, इंशा अल्ला हम फिर इस पर शासन करेंगे‘‘। क्या आप नहीं सोचते कि इस्लामिक जनसंख्या वृद्धि को देखते हुए यह बिल्कुल सम्भव है। यही कारण है कि मुसलमान अधिक से अधिक बच्चा पैदा करने की कोशिश में हैं

अरुन्धती राय कहती है कि ‘‘भारत अतिक्रमण करने में सबसे आगे है और इसने जम्मू और कश्मीर तथा उत्तर-पूर्व राज्यों का अतिक्रमण किया है। आगे वह यह भी कहती हैं कि भारत एक राष्ट्र नहीं है। मीडिया और सेक्युलरिस्टों की निगाह में वे एक बुद्धिवादी और सद्भावना रखने वाली महिला हैं। इसमें शक नहीं है! उन्हें विदेशों से बहुत सा पुरस्कार मिला है।

क्या मुंबईकरों ने मुसलमानों को कोई नुकसान पहुँचाया? फिर भी सैकड़ों मुंबईकर 11 जुलई 2006 को रेल बम विस्फोट में मौत के शिकार हो गए। कैसी उत्तेजना हैं। क्या इस्लामिक आतंकवाद को किसी उत्तेजना की जरूरत है। हिन्दुओं और ईसाइयों की इस पृथ्वी पर उपस्थिति ही उनके लिए उत्तेजक है।

कार्डिनल वेर्की, केरल, कहते हैं कि ‘‘20 वर्षों में केरल एक इस्लामिक राज्य बन जाएगा। उनकी शिकायत है कि ‘‘मुसलमानों को एक से अधिक पत्नियों को रखने और 6 से अधिक बच्चा पैदा करने के लिए कहा जाता है‘‘। क्या चर्च आज वही नहीं कह रहा है जिसे हिन्दू बहुत पहले से कहते आ रहे हैं? क्या सेक्युलरिस्ट कार्डिनल की बातों को नकार सकते हैं?

तत्कालीन गृहमंत्री शिवराज पाटील कहते थे कि मदरसा ज्ञान प्राप्त करने और मानवता की सेवा के लिए बच्चों को तैयार करने की जगह है। लेकिन गृह विभाग की सुरक्षा बलों ने मदरसा से जो हथियार प्राप्त किये उससे गृहमंत्री का बयान बिलकुल विपरीत लगता है। उदाहरणार्थ अधिकांश मदरसा आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं और आतंक का प्रशिक्षण केन्द्र हैं तथा भारत का सैकड़ों टुकड़ा करना चाहते है।

जमाते उलमा ऐ हिन्द के उपसभापति मौलाना मसूद मैदानी कहते हैं कि शाही इमाम अहमद बुखारी भारत के एक सबसे बड़े आतंकवादी हैं। वे कहते हैं कि देश में हुए बम विस्फोटें के पीछे बुखारी का मास्तिष्क काम करता है और उनका सम्बन्ध असामाजिक तत्वों से है। सरकार उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं करती? ऐसा उनका कहना है।

एक प्रकल्प को पोप आर्थिक मदद देते हैं जो यह प्रमाणित करना चाहता है कि मदुराई मीनाक्षी मंदिर वास्तव में एक ईसाई महल है। परन्तु नागपटनम में सुप्रसिद्ध वेलनकणी चर्च वास्तव में एक देवी का मंदिर है। क्या हिन्दुओं ने कभी इसे मंदिर साबित करने के लिए गुप्त षड़यंत्र किया है? और हिन्दुओं ने अभी तक इस पर आधिपत्य नहीं किया है।

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