वेद के लिए फैलाया गया कुछ भ्रम

श्री गणेश |
यजुर्वेद वेद में लिखा है कि धरती एकदम चपटी है|

उत्तर : समय के अनुसार सब रंग आकार स्वरुप बदलता है | ये कलियुग है पहले आदमी का आकार और स्वरुप भी बड़ा था | कलियुग में मनुस्य और जीव अल्पायु होते है | वेद पुराण में प्रकृति का सत्य है | सारी बाटे प्रकृति के मूल स्वरुप का ज़िक्र है | आज की पृथ्वी अपने मूल स्वरुप में नही है |

अगर आप भागवत पुराण अध्याय 5 श्लोक नबंर 1/33 पढते हैं उसमें लिखा है कि धरती पर सात समुद्र पाए जाते हैं जो निम्न हैं :
खारा जल का समुद्र ,
ईख का रस ,
शराब का समुद्र ,
घी का समुद्र ,
दूध का समुद्र
मट्ठा का समुद्र और
मीठे जल का समुद्र
अब आप ही बताओ हिंदू भाईयो एेसे समुद्र आप ने कहा देखे हैं ???

उत्तर : कलियुग में बहुत सारे नदी,जीव,पहाड़ और समुद्र सुख गए या नष्ट हो गए है | सतयुग आने पर जीवित या प्रकट हो जायेंगे | सरस्वती नदी भी अभी विलुप्त होने के दौर में है | यमुना भी धीरे धीरे विलुप्त हो जाएगी | गंगा के अदृस्य होने पर कलियुग का आखिरी चरण होगा और प्रलय आएगी |

अगर आप भागवत महापुराण अध्याय 10 श्लोक नबंर /90/42 पढते हैं उसमें लिखा है कि महाराजा उग्रसेन के एक युद्ध मे उसके सैनिकों की संख्या 10000000000000 थी आप बताओ भाईयो आज पूरी दूनिया की आबादी लगभग 8 अरब है ।

उत्तर : भारत में १९५१ भारत की आबादी ३६ करोड़ था | मुस्लिम मात्र ९.५ % था | आज मुस्लिम १८ % क्यों और भारत की आबादी लगभग ४ गुना कैसे | पृथ्वी का आकार आज जो हमें पृथ्वी दिखाई पर रही है इससे कई गुना अधिक पृथ्वी का आकर था | सतयुग से आकर छोटा होता आ रह है | आबादी भी पृथ्वी पर बढ़ और घट रही है |
आप बताओ हिंदू भाईयों क्या है ये ???
अगर आप देवी भागवत पुराण पढते हैं उसमें लिखा है कि धरती पर एक एेसा आम का पेड पाया जाता है जिसकी उँचाई 9,900 मील है ।

उत्तर : समय के अनुसार सब रंग आकार स्वरुप बदलता है | ये कलियुग है पहले पेड़ ,पौधे आदमी का आकार और स्वरुप भी बड़ा था | कलियुग में मनुस्य और जीव अल्पायु होते है |

क्या कोई हिंदू भाई बता सकता कहाँ वो पेड ????

उत्तर : कलियुग में बहुत सारे नदी और समुद्र सुख गए या नष्ट हो गए है | सतयुग आने पर जीवित या प्रकट हो जायेंगे |
अगर आप भागवत महापुराण 8/24/44 पढते हैं उसमें लिखा है कि (एक शिृंगधरो मतस्य हैमो नियुत्त योजन) अथार्त एक सींग वाली मछली जिसकी लम्बाई 6 लाख मील है ।
कोई हिंदू बता सकता है कहाँ है वो मछली ?????
पोराणिकों के अनुसार हिमालय की चौड़ाई 256,000 मील है जबकि धरती की चौड़ाई एशिया से कन्याकुमरी से उतरी ध्रव तक 8,000 मील ही है पौराणिक कथाओं मे हिमालय पर्वत की लम्बाई 128,000 मील बताई है जबकि हिमालय पर्वत की लम्बाई 1500 मील है ।

उत्तर : समय के अनुसार सब रंग आकार स्वरुप बदलता है | प्रकृति में भी बदलाव आये है | एक ही ध्रुव तारा ही अटल है | ये कलियुग है पहले समुद्र , नदी , पहाड़ , पेड़ , पौधे ,आदमी, जीव का आकार और स्वरुप भी बड़ा था | कलियुग में मनुस्य और जीव अल्पायु होते है | जिस प्रकार समय बढ़ता जायेगा आकार उम्र कम होती जाएगी |पृथ्वी का मूल आकार कई गुना आज की पृथ्वी से बड़ा है | पृथ्वी आज अपना स्वरुप छोटा करते जा रही है | मतलब समय के साथ घटती जा रही है | आज जो मापने का मात्रक है | पहले वो मात्रक नही है | जो आज का पंचांग भी विक्रम सवत है जो राजा विक्रमादित्य के समय से है | इन पचांग से हम सही समय नही जान सकते | इसके लिए हमें पुरातन समय पर ही जाना होगा |
अब सवाल ये पैदा होता है कि जवाब दो अगर सच्चे हो ?????
मेरे हिंदू भाईयों अगर आप भागवत महापुराण अधायाय 5 श्लोक नंबर 24/2 (5/24/2) पढते हैं उसमें लिखा है कि सूरज का आकार 30 हजार मील है , जबकि चाँद का आकार 36 हजार मील है ।

मेरे हिंदू भाईयों आप बताओ सूर्य का आकार बडा है या चाँद का आप इसे विज्ञान से साबित करो??????
रामायण मे लिखा है कि रामायण की घटनाएँ 12 लाख 96 हजार वर्ष पूर्व घटी जबकि विज्ञान से पता चलता है कि पृथ्वी पर आए मनुष्य को 15 से 20 हजार साल लगभग हुए हैं ।
हिंदू भाईयो जवाब दो ?????

उत्तर : अभी भी विज्ञान जो मात्र ५ सौ बर्ष की हुई है | अपने सूर्यमंडल के बारे में भी नही जान पाया है | कितने सूर्य और कितने सारे तारे है गिनती नही कर पाए है | ब्रह्माण्ड में कितनी पृथिवी जैसी गृह है इनको पता नही है | जब सब पता कर ले तो वेद और पुराण को गलत बोलना शायद आज से अगले १०,००० बर्ष में भी विज्ञानं के पास उत्तर नही होगा | शायद पता नही कर पायेगा सूर्य चंद्र सबका आकार में परिवर्तन होता है | आज जो मापने का मात्रक है | पहले वो मात्रक नही है | जो आज का पंचांग भी विक्रम सवत है जो राजा विक्रमादित्य के समय से है | इन पचांग से हम सही समय नही जान सकते | इसके लिए हमें पुरातन समय पर ही जाना होगा | मनुस्य का आकार बहुत बड़ा होता था | इनसे उनका मात्रक भी बड़ा था और पृथ्वी के साथ साथ ब्रह्माण्ड में भी परिवर्तन है | एक ध्रुव तारा अटल है |
वैदिक काल के बारे में आज का कोई भी पैमाना समय मात्रा वजन भार शक्ति लंबाई क्षेत्रफल व्यास इत्यादि अलग था | उस समय के अनुसार था | यानि पैमाना ही अलग था | उनके साँस लेने की अवधि अधिक होती थी | पृथ्वी जीव पैमाना प्रकृति सूर्य चंद्र गृह नक्षत्र का आकार बहुत बड़ा था | हम केवल अनुमान ही लगा रहे लेकिन हमारे शास्त्र में लिखी साडी बाटे प्रामाणिक और सत्य है | आज के मीटर सेकंड घंटे पल वजन सारे पैमाने के आधार पर शास्त्र नही लिखा है | ये सारे मानक लगभग ५० बर्ष से १०० बर्ष में हुए है | हम पाउंड, किलोग्राम,भारत का सेड सब अलग होता है | आज के मानक से १५००० हजार साल पहले की माप करना मूर्खता पूर्ण और अप्रसांगिक है | न तो लंबाई का मात्रक इस समय का मीटर न तो आज का इंच उस समय का मात्रक था | न तो किलोग्राम था | न तो घंटा या मिनट था | समय की गति भी काम थी सूर्य से पृथ्वी बड़ा था | सूर्य पृथ्वी का चक्कर काटते थे | अतः आज का कुतर्क वेद शास्त्र को गलत साबित नही कर सकता है |

वेदों मे लिखा है कि पृथ्वी साँप के फन पर टिकी है । मेरे हिंदू भाइयों आप इसे विज्ञान से साबित करो ????

उत्तर : सारे देवता अदृस्य हो गए है | सिर्फ कलियुग में हनुमान जी और काली माँ ही प्रत्यक्ष है | भगवन शेषनाग अदृस्य है | ये फिर सतयुग में प्रकट होंगे | कलियुग में आप हनुमान जी और काली माँ की आराधना कर दर्शन कर सकते है |
अगर आप भागवत स्कंध 5 , अध्याय 22 में लिखा है कि सूर्य के 3 लाख मील उपर चाँद है और सूर्य के सबसे नजदीक पृथ्वी है ।
भाईयो आज का विज्ञान क्या कहता है हम सब जानतें हैं । भागवत पुराण में समुद्रों का क्षेत्रफ़ल का योग 254 लाख योजन बताया है (एक योजन में 8 मील होते हैं ) जबकि समस्त पृथ्वी का विस्तार 50 करोड़ योजन है ।
भाईयो आप बताओ ये बातें वेद, पुराणों में किसने लिखीं हैं क्या भगवान ने लिखी ?????
अगर आप यजुर्वेद अध्याय ३३ श्लोक नबंर ४३ पढते हैं उसमें लिखा है कि पृथ्वी ठहरी हुई है और सूर्य पृथ्वी के चारों और चक्कर लगाकर पृथ्वी के अंधकार को दूर करता हैं ।
यजुर्वेद वेद २/१२/१२ पढते हैं उसमें लिखा है कि धरती एकदम चपटी है ।

उत्तर : सारे प्रकृति ने अपना स्वरुप, गुण, चाल, पृथ्वी जीव सबका अगर छोटा हो गया है | पृथिवी ने अपना आकर बहुत छोटा कर लिया है | पृथ्वी पर जितनी पाप बढ़ेगा आकर छोटा होता जायेगा | आज जो सूर्य दिख रहा है इनसे पृथ्वी बहुत गुना बड़ी थी और पृथ्वी का चक्कर लगाते थे | जिस प्रकार अभी पृथ्वी का आकर छोटा होने के कारन सूर्य का चक्कर काट रही है | सूर्य आकार में छोटा होने के कारन पृथ्वी का चक्कर काटती थी | सूर्य और पृथ्वी के बिच में भी बहुत अंतर हो गया है |

आखिर इतना बढ़ा झूटा और बेवकूफ कोई भी इस दुनिया में और कौन हो सकता है?
ये हिन्दू धर्म नही बल्कि लोगों बेवकूफ और मुर्ख बनाने का कुधर्म है।🙏

उत्तर : ये हिन्दू धर्म ही सारे सवाल का जवाब है | सत्य, सनातन और पुरातन धर्म है | न तो इसके आदि है ना तो अंत है | पृथ्वी सूर्य तारे प्रकट और नष्ट होंगे | सभ्यता नष्ट होंगे लेकिन सनातन धर्म हमेशा रहेगा |
वैदिक काल के बारे में आज का कोई भी पैमाना समय मात्रा वजन भार शक्ति लंबाई क्षेत्रफल व्यास इत्यादि अलग था | उस समय के अनुसार था | यानि पैमाना ही अलग था | उनके साँस लेने की अवधि अधिक होती थी | पृथ्वी जीव पैमाना प्रकृति सूर्य चंद्र गृह नक्षत्र का आकार बहुत बड़ा था | हम केवल अनुमान ही लगा रहे लेकिन हमारे शास्त्र में लिखी साडी बाटे प्रामाणिक और सत्य है | आज के मीटर सेकंड घंटे पल वजन सारे पैमाने के आधार पर शास्त्र नही लिखा है | ये सारे मानक लगभग ५० बर्ष से १०० बर्ष में हुए है | हम पाउंड, किलोग्राम,भारत का सेड सब अलग होता है | आज के मानक से १५००० हजार साल पहले की माप करना मूर्खता पूर्ण और अप्रसांगिक है | न तो लंबाई का मात्रक इस समय का मीटर न तो आज का इंच उस समय का मात्रक था | न तो किलोग्राम था | न तो घंटा या मिनट था | समय की गति भी कम थी सूर्य से पृथ्वी बड़ा था | सूर्य पृथ्वी का चक्कर काटते थे | अतः आज का कुतर्क वेद शास्त्र को गलत साबित नही कर सकता है |

🙏धर्म के नाम पर अंधे न बनें एक जागरूक ईंसान बनें🙏

ज्ञातव्य : जिस किताब ने १४०० बर्ष में २५ करोड़ से अधिक लोगो की जान ली, २० करोड़ से अधिक लोगो को जुल्म से धर्मान्तरण करवाया हो | वाल्मीकि और चंवर वंश की स्थिति उस मुग़ल कालीन जुल्म का गवाही का साबुत चीख चीख कर दे रही हो | जहाँ औरत को नारकीय जिंदगी दी जाति हो | हर दिन शांति दूत की मारने या मरने की घटना होती हो | मानवता आज जिसके आगे दम तोड़ चुकी हो | जिसको ज्यादा पढ़ने और जानने से इंसान आतंक उग्रवाद की राह पकड़ते हो |
जिसका इतिहास ही अधर्म का रहा हो | जो मानव जाति के लिए कलंक हो | जिसने मानवता के लिए एक भी वैज्ञानिक अविष्कार नही किया हो | जिसके मानसिकता में केवल हिंसा ही भरा हो | वो आज विज्ञानं धर्म शांति की शिक्षा दे रहे है |लिए कलंक हो | जिसने मानवता के लिए एक भी वैज्ञानिक अविष्कार नही किया हो | जिसके मानसिकता में केवल हिंसा ही भरा हो | वो आज विज्ञानं धर्म शांति की शिक्षा दे रहे है |

किसी के आँख मुंदने से संसार का लोप नही होता | किसी को जबरदस्ती उल्टा सीधा पढ़ा कर धर्म परिवर्तन करवाने से सत्य का नाश नही होता | जो सत्य है सनातन है जो आनंद है वही परमात्मा है |
SANT RAVIDAS : Hari in everything, everything in Hari
For him who knows Hari and the sense of self,
no other testimony is needed:
the knower is absorbed.
सारे वेद का सार एक ही है | संत रविदास जी ने कहा है |
हरि सब में व्याप्त है | सब हरि में है | जिसने हरि और स्वयम को जान लिया कुछ जानने की जरूरत नही है | जानने वाला हरि में विलीन हो जाता है |
हरि ॐ तत्सत |

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