दलित - मुस्लिम कड़वा इतिहास
मनुस्मृति
जब सृष्टि आरम्भ हुई थी तो ब्रह्मा ने विधान बनाया था जिसे उनके मानस पुत्र स्वायंभुव मनु ने लिखा था | ये संसार का पहला ग्रन्थ था । जिसमे कलियुग ने प्रपंच की तहत धर्म की हानि के लिए छेड़ छेड़ करवाया है|
मूल मनुस्मृति वैदिक संस्कृत में लिखी १०,००० वर्ष से अधिक पुराना ग्रन्थ है जिसमे ६३० श्लोक है | विकृत मनुस्मृति २८०० वर्ष पुराना और लगभग २४०० श्लोक है |इस नकली मनुस्मृति में ब्राह्मणों को उच्च, शुद्रो और स्त्री को नीच कहा गया था |विकृत मनुस्मृति मनुवाद (ब्राह्मणवाद) का जन्म का कारन बना जिसे भगवन बुध ने २५०० वर्ष पहले अंत किया | कालांतर में सिख ईसाई जैन इत्यादि धर्म आया ।
भगवान् महर्षि वाल्मीकि को डाकू कहा गया । जिसे पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने गलत कहा है ।
रामायण और महाभारत के मूल प्रति में मिलावट कर मनघड़न्त कहानी मिलाया गया जो पूर्णतः असत्य है ।
रामायण और महाभारत की कुछ और मनघडंत कल्पनाएँ जो कोई अस्तित्व तो नहीं रखती पर हिन्दू धर्म की पवित्र संस्कृति को अपमानित जरूर करवाती हैं, देखें –
रामायण:
१. सीता का निर्वासन (सम्पूर्ण उत्तर रामायण ही बाद की कपोल-कल्पना है, जिसका कोई सम्बन्ध वाल्मीकि रामायण से नहीं है।)
२. राम द्वारा शूद्र शम्बूक का वध (उत्तर रामायण से लिया गया एक झूठा प्रसंग है।)
३. हनुमान,बालि,सुग्रीव आदि को बन्दर या वानर मानना। (वे सभी मनुष्य ही थे, हनुमान श्रेष्ठ विद्वान्, अति बुद्धिमान और आकर्षक व्यक्तित्व वाले है।)
४. राम, लक्ष्मण, सीता को शराबी और मांस- भोजी मानना। (जिसका कोई सन्दर्भ मूल रामायण में कहीं नहीं मिलता।)
महाभारत:
१. पांचाल नरेश की कन्या होने से – द्रौपदी पांचाली थी, पांच पतियों की पत्नी होने से नहीं। (यदि कोई इस से उलटा कहे तो वह संस्कृत और इतिहास दोनों से ही अनभिज्ञ है।)
२. श्री कृष्ण की सोलह हजार से भी अधिक रानियाँ मानना। (यह भी भारत वर्ष के अंध काल की एक और मनघडंत कल्पना है।)
3. गुरु द्रोणाचार्य पर एकलव्य का अंगूठा काटना मनघडंत कहानी है । जिसे महाभारत में घालमेल किया है । महर्षि वाल्मीकि की तरह गुरु द्रोणाचार्य को बदनाम किया जा रहा है ।
सैकड़ों शताब्दियों से वेदों के बाद सबसे प्रमुख ग्रन्थ होने के कारण इन ग्रंथों में घालमेल किया गया क्योंकि इन में बिगाड कर के हिन्दुओं को अपने धर्म से डिगाया जा सकता है। हिन्दुओं को धर्मच्युत करने के लिए ही मानव संविधान के प्रथम ग्रन्थ मनुस्मृति में भी घालमेल किया गया।
1378 मेँ भारत से एक हिस्सा अलग हुआ, इस्लामिक राष्ट्र बना - नाम है इरान।
तैमूर का जन्म सन् 1336 में ट्रांस-आक्सियाना (Transoxiana), ट्रांस आमू और सर नदियों के बीच का प्रदेश, मावराउन्नहर, में केश या शहर-ए-सब्ज नामक स्थान में हुआ था। उसके पिता ने इस्लाम कबूल कर लिया था। अत: तैमूर भी इस्लाम का कट्टर अनुयायी हुआ। वह बहुत ही प्रतिभावान् और महत्वाकांक्षी व्यक्ति था। महान् मंगोल विजेता चंगेज खाँ की तरह वह भी समस्त संसार को अपनी शक्ति से रौंद डालना चाहता था और सिकंदर की तरह विश्वविजय की कामना रखता था। सन् 1369 में समरकंद के मंगोल शासक के मर जाने पर उसने समरकंद की गद्दी पर कब्जा कर लिया और इसके बाद उसने पूरी शक्ति के साथ दिग्विजय का कार्य प्रारंभ कर दिया। चंगेज खाँ की पद्धति पर ही उसने अपनी सैनिक व्यवस्था कायम की और चंगेज की तरह ही उसने क्रूरता और निष्ठुरता के साथ दूर-दूर के देशों पर आक्रमण कर उन्हें तहस नहस किया। 1380 और 1387 के बीच उसने खुरासान, सीस्तान, अफगानिस्तान, फारस, अजरबैजान और कुर्दीस्तान आदि पर आक्रमण कर उन्हें अधीन किया। 1393 में उसने बगदाद को लेकर मेसोपोटामिया पर आधिपत्य स्थापित किया। इन विजयों से उत्साहित होकर अब उसने भारत पर आक्रमण करने का निश्चय किया। उसके अमीर और सरदार प्रारंभ में भारत जैसे दूरस्थ देश पर आक्रमण के लिये तैयार नहीं थे, लेकिन जब उसने इस्लाम धर्म के प्रचार के हेतु भारत में प्रचलित मूर्तिपूजा का विध्वंस करना अपना पवित्र ध्येय घोषित किया, तो उसके अमीर और सरदार भारत पर आक्रमण के लिये राजी हो गए।
मूर्तिपूजा का विध्वंस तो आक्रमण का बहाना मात्र था। वस्तुत: वह भारत के स्वर्ण से आकृष्ट हुआ। भारत की महान् समृद्धि और वैभव के बारे में उसने बहुत कुछ बातें सुन रखी थीं। अत: भारत की दौलत लूटने के लिये ही उसने आक्रमण की योजना बनाई थी। उसे आक्रमण का बहाना ढूँढ़ने की अवश्यकता भी नहीं महसूस हुई। उस समय दिल्ली की तुगलुक सल्तनत फिरोजशाह के निर्बल उत्तराधिकारियों के कारण शोचनीय अवस्था में थी। भारत की इस राजनीतिक दुर्बलता ने तैमूर को भारत पर आक्रमण करने का स्वयं सुअवसर प्रदान दिया।
1761 मेँ भारत से एक हिस्सा अलग हुआ, इस्लामिक राष्ट्र बना - नाम है अफगानिस्तान
हयाम वुरुक इसका सबसे शक्तिशाली और सफल सम्राट था।
दलित नेता : भीम राव आंबेडकर बनाम जोगेंद्र नाथ मंडल
मनुस्मृति
जब सृष्टि आरम्भ हुई थी तो ब्रह्मा ने विधान बनाया था जिसे उनके मानस पुत्र स्वायंभुव मनु ने लिखा था | ये संसार का पहला ग्रन्थ था । जिसमे कलियुग ने प्रपंच की तहत धर्म की हानि के लिए छेड़ छेड़ करवाया है|
मूल मनुस्मृति वैदिक संस्कृत में लिखी १०,००० वर्ष से अधिक पुराना ग्रन्थ है जिसमे ६३० श्लोक है | विकृत मनुस्मृति २८०० वर्ष पुराना और लगभग २४०० श्लोक है |इस नकली मनुस्मृति में ब्राह्मणों को उच्च, शुद्रो और स्त्री को नीच कहा गया था |विकृत मनुस्मृति मनुवाद (ब्राह्मणवाद) का जन्म का कारन बना जिसे भगवन बुध ने २५०० वर्ष पहले अंत किया | कालांतर में सिख ईसाई जैन इत्यादि धर्म आया ।
भगवान् महर्षि वाल्मीकि को डाकू कहा गया । जिसे पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने गलत कहा है ।
रामायण और महाभारत के मूल प्रति में मिलावट कर मनघड़न्त कहानी मिलाया गया जो पूर्णतः असत्य है ।
रामायण और महाभारत की कुछ और मनघडंत कल्पनाएँ जो कोई अस्तित्व तो नहीं रखती पर हिन्दू धर्म की पवित्र संस्कृति को अपमानित जरूर करवाती हैं, देखें –
रामायण:
१. सीता का निर्वासन (सम्पूर्ण उत्तर रामायण ही बाद की कपोल-कल्पना है, जिसका कोई सम्बन्ध वाल्मीकि रामायण से नहीं है।)
२. राम द्वारा शूद्र शम्बूक का वध (उत्तर रामायण से लिया गया एक झूठा प्रसंग है।)
३. हनुमान,बालि,सुग्रीव आदि को बन्दर या वानर मानना। (वे सभी मनुष्य ही थे, हनुमान श्रेष्ठ विद्वान्, अति बुद्धिमान और आकर्षक व्यक्तित्व वाले है।)
४. राम, लक्ष्मण, सीता को शराबी और मांस- भोजी मानना। (जिसका कोई सन्दर्भ मूल रामायण में कहीं नहीं मिलता।)
महाभारत:
१. पांचाल नरेश की कन्या होने से – द्रौपदी पांचाली थी, पांच पतियों की पत्नी होने से नहीं। (यदि कोई इस से उलटा कहे तो वह संस्कृत और इतिहास दोनों से ही अनभिज्ञ है।)
२. श्री कृष्ण की सोलह हजार से भी अधिक रानियाँ मानना। (यह भी भारत वर्ष के अंध काल की एक और मनघडंत कल्पना है।)
3. गुरु द्रोणाचार्य पर एकलव्य का अंगूठा काटना मनघडंत कहानी है । जिसे महाभारत में घालमेल किया है । महर्षि वाल्मीकि की तरह गुरु द्रोणाचार्य को बदनाम किया जा रहा है ।
सैकड़ों शताब्दियों से वेदों के बाद सबसे प्रमुख ग्रन्थ होने के कारण इन ग्रंथों में घालमेल किया गया क्योंकि इन में बिगाड कर के हिन्दुओं को अपने धर्म से डिगाया जा सकता है। हिन्दुओं को धर्मच्युत करने के लिए ही मानव संविधान के प्रथम ग्रन्थ मनुस्मृति में भी घालमेल किया गया।
इसके बाद धर्म और देश का विघटन आरम्भ हो गया ।
हिन्दू के ग्रंथो में छेड़ छाड़ कर तीन वर्ण को पूजा से वंचित रखा गया था । अब पूजा से वंचित वर्ग में असंतोष था । वो किसी भी हाल में ब्राह्मणों को सबक सिखाना चाहते थे । जिसने उन्हें ब्राह्मण मानने से इनकार किया था । अब ये समस्या गहरी हो गयी थी की एक दूसरे की शादी भी नही होती थी । यानि ब्राह्मण वर्ण और क्षत्रिय वर्ण की आपस में लड़ाई हो रही थी । एक दूसरे का अहम् महत्वपूर्ण था । इस आपसी वैमनस्य के कारन उन ब्राह्मण क्षत्रिय समाज से वंचित वर्ग ने मुसलमानो का साथ दिया । बाद में यही गलती पतन का कारण बना । हमेसा इन असन्तुष्ट वर्ग तत्कालीन राजा, पुरोहित, मंत्री और राज्य के खिलाफ हमेशा संघर्ष कर रहे थे । ये लड़ाई सत्ता हासिल करने के लिए ही थी । इसलिए उस समय के असंतुष्ट वर्ग ने तैमूर लंग के साथ दिया । मुसलमान के साथ मिलकर ने ईरान बनाया । जिसके बाद सारे हिन्दू मारे गए या इस्लाम काबुल किया ।
ज्ञातव्य : ये असंतुष्ट वर्ग पहले शाषक थे । यही ब्राह्मण वर्ण और क्षत्रिय वर्ण के थे । ( कालांतर गौतम बुद्धा २५०० बर्ष के बाद ) सिर्फ राजनितिक मोहरा ही बना इनके हाथ में कभी सत्ता आया ही नही । ये हमेसा धर्म, सत्ता और देश के विरूद्ध खड़े रहे । इनके हाथ हमेसा खाली ही रहा है। ये असंतुष्ट वर्ग अब तक सत्ता और आन की लड़ाई के लिए धर्म और देश को हमेसा दाव पर लगाया है । इसके बारे में कुछ इतिहास संक्षेप में आपके सामने रख रहा हूँ ।
मूर्तिपूजा का विध्वंस तो आक्रमण का बहाना मात्र था। वस्तुत: वह भारत के स्वर्ण से आकृष्ट हुआ। भारत की महान् समृद्धि और वैभव के बारे में उसने बहुत कुछ बातें सुन रखी थीं। अत: भारत की दौलत लूटने के लिये ही उसने आक्रमण की योजना बनाई थी। उसे आक्रमण का बहाना ढूँढ़ने की अवश्यकता भी नहीं महसूस हुई। उस समय दिल्ली की तुगलुक सल्तनत फिरोजशाह के निर्बल उत्तराधिकारियों के कारण शोचनीय अवस्था में थी। भारत की इस राजनीतिक दुर्बलता ने तैमूर को भारत पर आक्रमण करने का स्वयं सुअवसर प्रदान दिया।
1761 मेँ भारत से एक हिस्सा अलग हुआ, इस्लामिक राष्ट्र बना - नाम है अफगानिस्तान
ईसापूर्व २३० में मौर्य शासन के तहत अफ़ग़ानिस्तान का संपूर्ण इलाका आ चुका था पर मौर्यों का शासन अधिक दिनों तक नहीं रहा। इसके बाद पार्थियन और फ़िर सासानी शासकों ने फ़ारस में केन्द्रित अपने साम्राज्यों का हिस्सा इसे बना लिया। सासनी वंशइस्लाम के आगमन से पूर्व का आखिरी ईरानी वंश था। अरबों ने ख़ुरासान पर सन् ७०७ में अधिकार कर लिया। सामानी वंश, जो फ़ारसी मूल के पर सुन्नी थे, ने ९८७ इस्वी में अपना शासन गजनवियों को खो दिया जिसके फलस्वरूप लगभग संपूर्ण अफ़ग़ानिस्तान ग़ज़नवियों के हाथों आ गया। ग़ोर के शासकों ने गज़नी पर ११८३ में अधिकार कर लिया।
मजापहित साम्राज्य इंडोनेशिया में १२९३-१५०० तक चला। इस हिन्दू साम्राज्य में देश बहुत महान बना और इसे स्वर्ण युग माना जाता है।हयाम वुरुक इसका सबसे शक्तिशाली और सफल सम्राट था।
1947 मेँ भारत से एक हिस्सा अलग हुआ, इस्लामिक राष्ट्र बना - नाम है पाकिस्तान
भारत से अंग्रेज जब जाने को तैयार हुए तो दावेदार सामने आये नेहरू और जिन्ना दोनों में अहम् की लड़ाई थी । दो कानून मंत्री के दावेदार आये आंबेडकर और जोगेन्दर । जब कांग्रेस ने जोगेन्दर मंडल को मंत्रालय देने से इंकार किया तो दलित मुसलमान एकता का नारा और मूलनिवासी जिंदाबाद का नारा दिया । क्योंकि अंग्रेज ने अमेरिका में मूलनिवासी का नारा देकर आदिवासी को बर्बरता से मरवाया था । जिसे मूलनिवासी दिन ( कोलंबस डे ) के नाम से मानते है । अंग्रेज भारत में भी मूलनिवासी का प्रोपेगेंडा फैला दिया था । जोगेन्दर नाथ मंडल ने जिन्ना का साथ दिया । जिन्ना का साथ देकर पाकिस्तान बनाया और कानून मंत्री बना ।
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